ग्रेटर नोएडा में लैब पकड़ी, 46 किलो ड्रग्स के साथ नौ विदेशी गिरफ्तार

पुलिस का दावा है बरामद माल की कीमत टेरर फंडिंग से जुड़े तार

सूरजपुर स्थित तीन मंजिला मकान 50 हजार रुपये में अफ्रीकी नागरिको ने किराये पर ले रखा था

गटर नौर के सेक्टर स्थित तीन मंजिला मकान में चल रही अंतराष्ट्रीय इस फैक्ट्री का स्व टीम ने भंडाफोड़ कर अफ्रोको मूल के भी आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। उसके कब्जे से 40 किलो रस बरामद हुई है। पुलिस का दावा है कि बरामद इसकी कीमत 300 करोड़ रुपये है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहली बार इस की इतनी बड़ी खेप पकड़ी है। फैक्ट्री का संचालन सेब के तरीके से होता था। यही इस बनाई जाती धोनी के सूरजपुर में फैक्ट्री से बरामद ड्रग्स केमिकल व अन्य सामान रण थी। उसको पैकेट के रूप में फ्लाइट से कैलिफोर्निया व नाइजीरिया समेत कई अन्य देश में भेजने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा भारत के नाथ ईस्ट में भी सप्लाई होती थी।

उच्च गुणवत्ता वाला इग्स है। सेंट्रल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुमान पर बरामद इस 300 करोड़ की को धर दबोचा। आंकी गई है इग्स बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला केमिकल भी बरामद हुआ है।

गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने बताया कि इस काटेल, क्रिप्टो करेंसी और टेरर क्रेडिंग से इस फैक्ट्री के तार जुड़े ड्रग्स की फैक्ट्री पिछले एक साल हैं। आरोपितों ने इस बनाने के लिए से चल रही थी सूरजपुर स्थित बेस बना रखा था। यहां एक फैक्ट्री रुपये में अफ्रीकी नागरिकों ने किराए बाद विदेश के अलावा दिल्ली पुलिस पता लगाने में जुटी हुई है भी सप्लाई की जाती थी।

लेबोरेट्री और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तीन मंजिला मकान को 50 हजार सेटअप बनाया था। ड्रग बनाने के पर ले रखा था। इस कार्टेल का एनसीआर में होने वाली रेव पार्टी में डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान व स्वाट टीम प्रभारी यतेंद्र कुमार

आरोपितों के कब्जे से बरामद 46 इग्स माफिया का पिछले तीन महीने किलो मैथाटामदन (एमटीएमए) से पीछा कर रहे थे जब फैक्ट्री में

• पैकेट में भर कर फ्लाइट से कैलिफोर्निया, नाइजीरिया समेत कई

अन्य देशों में होती थी सप्लाई

केडिंग से जुड़े है। को इस बारे में सूचना दी है। एन नशीले पदार्थ की तस्करी में जेल जा चुका है।

आरोपितों में एक पूर्व में

यह आरोपित हुए गिरफ्तार डेनियल अजूड, मेमो ली जू के एमिली की चिड़ी जीवा जो लेवी सभी मूल के नाइजीरिया के रहने वाले है।

इम्स बनाने की पक्की सूचना मिली तो पुलिस ने दबिश देकर आरोपितों

क्रिप्टो करेंसी से हुआ लेनदेन पकड़े गए अफ्रीकी मूल के नागरिकों के पास कोई बैंक खाता एटीएम या एक साल से चल रही थी फैक्ट्री फाइनेंशियल कागजात नहीं मिले हैं। आरोपित बिना वीजा के रह रहे थे। पूछताछ में पता चला है कि इग्स सप्लाई के बाद मिलने वाली रकम का लेनदेन क्रिप्टो करेंसी के जरिए किया जाता था। आरोपितों के फाइनेंसियल ट्रांजेक्शन और इंटरनेशनल कनेक्शन को भी

पुलिस खंगाल रही है। आरोपितों के बैकग्राउंड और फारवर्ड लिंकेज का पुलिस जल्द ही पर्दाफाश करेगी।

ऐसे बनाते थे ड्रग्स आरोपित नर्वस सिस्टम के इलाज में प्रयोग होने वाली दवा एपाइन को बाकी केमिकल्स के साथ बर्नर मे गर्म करते थे। इसके बाद मैयमटामाइन नामक केमिकल को ऐसीटोन, एथेनाल वा के साथ मिक्स कर साल्युशन बना लेते थेटामाइन को मेनाल व ऐसीटोन के शाल्यूशन के साथ मिलाकर फ्रीज किया जाता था होने के बाद प्योर मैनफेटामाइन तैयार होता था। इसे मैच भी कहने है और यह शक्तिशाली इग होता है। जो शरीर के तंत्रिकात पर असर डालता है आरोपित इस इस को बनाने की विधि देखकर इस विचार करते थे।

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